मिलेंगे लोग कुछ ऐसे गले हॅंसकर लगाते हैं।
गज़ल
1222…….1222…….1222……1222
मिलेंगे लोग कुछ ऐसे गले हॅंसकर लगाते हैं।
मिले मौका उन्हें जैसे तो ठोकर मार देते हैं।
मिलेंगे दोस्त चलते राह, गर है जेब में पैसा,
हुई जो जेब खाली तो दिखाई भी न देते हैं।
चुनावों में सभी नेता तो लगते हैं बड़े सेवक,
हुई ज्यों जीत हासिल बस नहीं फिर मुॅंह दिखाते हैं।
हमें तुमसे है कितना प्यार, तुम ऐसे समझ लोगे,
तुम्हारी इक हॅंसी पर हम दिलोजां भी लुटाते हैं।
कृपा मुझ पर हुई गुरु की, उजाला ज्ञान का पाया,
उसी से जिंदगी के अब अंधेरे हम मिटाते हैं।
बहारों का ही है मौसम हमारी जिंदगी में अब,
हमारी जिंदगी में जब से प्रियवर आप आए हैं।
यूॅं ही मुझको जमाना सब ये कहता है नहीं प्रेमी,
सभी को हॅंस के हम हरदम गले अपने लगाते हैं।
……..✍️ प्रेमी