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16 Apr 2022 · 1 min read

मिला दो जरा

****** मिला दो जरा *******
*************************

क्या ख़ता है मेरी बता दो जरा,
हूँ जड़ा जड़ से मैं हिला दो जरा।

उठ न पाए गिरता जमीं पर कभी,
दे सहारा हम को उठा दो जरा।

काँपती रहती रूह कुछ सोचकर,
मीत दिल का छूटा मिला दो ज़रा।

छोड़ दो ज़िद पूरी न होती सनम,
तुम हया का परदा गिरा दो ज़रा।

फूल खिलते काँटों भरी गोद में,
झाड़ से दोस्ती तुम बना दो ज़रा।

सह रहा मनसीरत जफ़ा को यहाँ,
गर सितम बाकी है गिरा दो जरा।
*************************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 1 Comment · 83 Views
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