” मिलन “
क्या कभी तुझे
मेरी याद नहीं आती
क्या तुम्हारे ख्यालों में
मिलने की बात नहीं आती।
हां ! जानती हूं मै
मजबूर हो तुम भी
इस सामाजिक उलझन से,
तो क्या कभी बहती आंखों में
मुस्कान नहीं आती।
गूरुर है मुझे
तेरे इश्क़ की सच्चाई पर
कि, तुझे प्यार है
मेरी इस रुसवाई पर
तड़पते हैं दिदार को एक दफा,
मुझे बताओ !!
क्या वहां तक मेरी आवाज़ नहीं आती।
आंखों में मेरे
एक प्यास बाकी है
हां ! अभी भी मिलने की आंस बाकी है ।❤️❤️