मिलन की रात
(रक्ता छंद)
मापनी:-2121212
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साथ आप ही रहें,
प्रीत भी सही गहें।
मीत ही तुझे चुना,
ख्वाब भाव से बुना।
छाँव प्रेम के तले,
खूब झूमते चले।
याद प्रीत की भली,
तू निशा में ही चली।
बूँद प्यार की गिरी,
ओस में रही घिरी।
फूल रात को खिले,
नींद में दिखे मिले।
आ गले लगे रहे,
लोर आंख से बहे।
प्यास प्यार की बुझी,
जीत नेह पे सुझी।
आँख मोर जो खुली,
तू नहीं मिली जुली।
नींद में खुशी पली,
होश में बड़ी खली।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर, उ.प्र.
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