मिलन की वेला
घटा घनघोर छाई , संदेश पिया का लैके आई
लगे मिलन की वेला , अब आई- अब आई ………….
बदरा भये अब कारे-कारे, जैसे नैन तेरे कजरारे
मेघ झुके तो ऐसन लागे , जैसे वसुधा हो इठलाई……………….
आस मिलन की तब ये जागी, लगन पिय से जब से लागी
कहें बसंती पवन मंद हो , धानी चुन्दरिया लहराई……………….
गाये मौषम मद्दिम-मद्दिम, धड़के हिय मम धिम-धिम- धिम
जैसे सावन भादों भरमाया,बूंदे बन के मल्हारें आईं……………………
सिहरन तन की बोल रही, वहकी-वहकी अब डोल रही
ये राग ऋतू ने कैसा छेड़ा, कहे विरह पिय मैं आई मैं आई……………