मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
कोई पीये राबड़ी , कोई पीये सूप ।।
भवानी सिंह “भूधर”
बड़नगर , जयपुर
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
कोई पीये राबड़ी , कोई पीये सूप ।।
भवानी सिंह “भूधर”
बड़नगर , जयपुर