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13 Jun 2023 · 1 min read

मिलता नहीं किनारा

मिलता नहीं किनारा माँझी यूँ ही बैठे रहने से।

मिलता नहीं सुकून कभी भी विचलित होते रहने से।

बिना कर्म के जग में हर इंसान विफल हो जाता है,

मिल जाती है मंजिल राही, हरदम चलते रहने से।

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