–मिलके कटें हिय कलेश सजना–
खत आया ना संदेश सजना।
जब से गए तुम प्रदेश सजना।।
हर आहट तस्वीर सजाती है।
हर आह सनम तुझे बुलाती है।
तन्हा नहीं रहे होश सजना।
जब से ग ए…………………।
कोयल कूके शूल सरिस चुभती।
नींद न रातें तारे गिन कटती।
रुह जले निकले न साँस सजना।
जब से ग ए………………….।
अपनी प्रेम कहानी तन्हा है।
इश्क़-ए-रुह ज़बानी तन्हा है।
हो ना बयां हम निराश सजना।
जब से ग ए…………………..।
आ जाओ तुम हिज्र में जलती।
जीती हूँ ना तन्हा मैं मरती।
मिलके कटें हिय कलेश सजना।
जब से ग ए……………………।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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