मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे
मिल कर हम कदम बढ़ाएंगे
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मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे,
हर हक अपना हम पाएँगे।
कितना भी पथ कंटीला हो,
दुश्मन का पंजा पीला हो,
जीत का परचम लहराएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे।
हाथों मे झंडा काला है,
हाथ सांप के मुंह मे डाला है,
जो सोयें हैं उनको जगाएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे।
जनता का राजा चोर हुआ,
ज़ोर जुल्म अब घोर हुआ,
न्याय का दीपक जलाएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे।
काले-कानून हैं कबूल नहीं,
मंजिल अब हमसे दूर नहीं,
क्रांति का बिगुल बजाएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे।
हाकिम तानाशाही ने मारा है,
इंकलाब अब हमारा नारा है,
दाँतो के तले चने चबाएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे।
मनसीरत ने यह ठान लिया,
सड़कों को घर है मान लिया,
खाली हाथ नहीं हम जाएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे।
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे,
हर हक हम अपना पाएंगे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)