– मिलकर उससे
– मिलकर उससे
तन पुलकित
हर्षित मन,
स्मृति जब उसकी आई।
उमड़ उल्लास
सरस विकास,
पर नैन नीर जल भर लाई।
खूबसूरत अहसास
कितना खास !!
न जाने मैं क्यूं ऐसा भरमाई??
आंख का तारा
मन का प्यारा,
लगा क्यूं वो ये समझ ना पाई।
पाक सरस साथ
हुआ अति विश्वास,
मुख देख उसका जान यही पाई।
– सीमा गुप्ता अलवर