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25 Aug 2018 · 1 min read

मिरे दुःख का तू अंदाज़ा लगा दे

मिरे दुःख का तू अंदाज़ा लगा दे,

ख़ुशी को अपनी खुद ही तू मिटा दे,

हवा इतराए फिरती हैं जो ख़ुद पर,

अगर हिम्मत हो सूरज को बुझा दे,,

सितारे सिसकियाँ भरते है शब भर,

कभी तो आँख भी ग़म का पता दे,,

ये रश्क ए महरो माह रश्क ए बहारां,

कभी आकर मेरे घर को सजा दे,,

दिल ए बीमार को रश्क ए मसीहा,

जो हो मक़बूल अब ऐसी दुआ दे,,

मुक़ाबिल से चला ये कौन उठकर,

के जैसे शम ए दिल कोई बुझा दे,,

अर्पित शर्मा “अर्पित”

1 Comment · 224 Views
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