मिरी ख़ुश्बू
रखना सहेज कर उसे जिसको संवारो तुम,
हर किसी को हमसा बिखेरा नहीं जाता।।
जो बूझे मुझे कोई तो बस इतना ही बताना,
वो रेत का कतरा मिट्टी में मिल गया।।
सजाना हाथ मेहँदी के तो मुझको याद कर लेना,
मिरी ख़ुश्बू को मेहँदी में तू महसूस कर लेना।।
रखना सहेज कर उसे जिसको संवारो तुम,
हर किसी को हमसा बिखेरा नहीं जाता।।
जो बूझे मुझे कोई तो बस इतना ही बताना,
वो रेत का कतरा मिट्टी में मिल गया।।
सजाना हाथ मेहँदी के तो मुझको याद कर लेना,
मिरी ख़ुश्बू को मेहँदी में तू महसूस कर लेना।।