मिरा भी नाम आएगा
कहीं रख दो सलीके से कहीं पर काम आएगा
तुम्हारी आपबीती में मिरा भी नाम आएगा
खिले थे फूल वादों के जहाँ कसमों की खुशबू है
उसी गुलशन में भँवरा हर सुबह हर शाम आएगा
करो इकरार तो पहले सनम के रूबरू जाकर
तभी तो प्यार का कोई हसीं अंजाम आएगा
कहेंगे लोग क्या छोड़ो अमां खुद की फिकर कर लो
डरेगा जो जमाने से वही नाकाम आएगा
चलाओ मत जफ़ा की आँधियाँ इतनी भी अब संजय
लगेगी बौर पेड़ों में तभी तो आम आएगा