मिरा ऐब सबने गिनाया तो होगा
मिरा ऐब सबने गिनाया तो होगा
ज़माने ने उत्सव मनाया तो होगा
क़दम बढ़ चले जब अंधेरों की जानिब
उमीदों ने दीपक जलाया तो होगा
खुदाया कि हो अब उमीदों की बारिश
ये मल्हार मेघों ने गाया तो होगा
महकने लगी क्यूँ ज़मीं खुशबुओं से
किसी ने ग़ज़ल को बिछाया तो होगा
नज़ीर नज़र