मिथ्या मार्ग का फल
संप्रति कल के लम्हें में
बहुधा मनुष्य संगृहीत
कर रहे धन-दौलत को
त्रुटिपूर्ण आचरणों से
उनका मकसद निरा
धन-दौलत संचितना
इसके लिए वो किंचिते
उदात्तों, अनिंद्यों तक के
ऐसे मनुज इस भुवन में
पल्लव ही कर देते साफ
होते हैं कलील रथय में
वही तो करते हैं ध्वस्त
ये अवगत होते हुए भी
मैं अयथार्थ कर रहा हूं
मिथ्या डगर वाले को
सतत् होता फल हेय ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार