मिथिला
बौध्द मैथिल माय के देस
प्राचीन संस्कृतिक गोद मे
मिठ बोल भाषा कर्णप्रिय
संस्कार पहचान हमर
पाहुन राम हाँसैय आगन मे
विधापति संग महादेव कृष्ण
सदा विराजमान करैए
नित भोर गोसाउनि गुंजैए
सुत उठिकए सदा
पैघ परिजन के
पैर छू प्रणाम करए
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य