“मिथिला दर्शन “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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मिथिला मे बड मन लागल,
हमर बड़का भाग्य जागल !
अछि प्रेम व्याप्त एहि जीवन मे,
सत्कार भरल जनमानस मे !
समयक कोनो आभाव नहि,
आनन् पर कोनो तनाव नहि !
सोनगर माटिक सुगंध लिय ,
भांगक मधुर आनंद लिय !
घर-घर मे तुलसी पीढ़ा बनल ,
पूजा ओ पाठ मे लोग रमल !
शंकर गौरीक उपासक छथि ,
सबदिन शक्तिक साधक छथि !
एहि मिथिला के हम पूजेत छी ,
एकर गौरव के बूझेत छी !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका ,झारखण्ड !