मित्र ह्रदय का संम्बल है ! मित्रता दिवस विशेष !
सुख में दु:ख में हर मुश्किल में,
हंँसकर साथ निभाता है।
खड़ी दुपहरी में जो सर पर,
बनकर छांँव बचाता है।
अवगुण को जो छांँट-छांँट कर
मन से दूर भगाता है
मित्र वही जो गले मिलकर
सारे दुःख-दर्द भुलाता है।
मुस्कानों के भीतर बैठे
गम को जो पढ़ ले।
सुख में बने सहारा लेकिन
दुःख में भी भागीदारी ले।
पास दूर का फर्क नहीं कुछ,
‘दीप’ मित्र ह्रदय का संबल है।
मित्र राम सा ,सुग्रीवों की
किस्मत के लिए ब्रह्म-बल है
-जारी
-©कुल’दीप’ मिश्रा