मित्र धर्म
पोल खोल कर रख दोगे,
क्या, मित्र धर्म को भूल गए
मित्र छुपाए राज सभी,
क्यो, मित्र शर्म को भूल गए
हसी मजाक ठीक सभी,
क्या, मित्र मर्म को भूल गए
किये हुए जो काम साथ मे,
क्यो, मित्र कर्म को भूल गए
ललकार भारद्वाज
पोल खोल कर रख दोगे,
क्या, मित्र धर्म को भूल गए
मित्र छुपाए राज सभी,
क्यो, मित्र शर्म को भूल गए
हसी मजाक ठीक सभी,
क्या, मित्र मर्म को भूल गए
किये हुए जो काम साथ मे,
क्यो, मित्र कर्म को भूल गए
ललकार भारद्वाज