मित्र धर्म और मैं / मुसाफिर बैठा
मित्र हूं तेरा मैं
मतलब यह नहीं इसका कि
मित्रता विरुद्ध के तेरे कर्मों को भी
पचा जाऊंगा
चुप्पी उस पर लगा जाऊंगा
बल्कि करूंगा आगाह तुझे
खबरदार करता रहूंगा
करता रहूंगा निगहबानी तेरी
अपनी मत विभिन्नता जताता रहूंगा संजीदगी से
ताने उलाहने भी दूंगा इस क्रम में
तेरे धतकर्मों विकर्मों पर
और ऐसा ही चाहूंगा पाना
तेरी तरफ से भी अपने लिए
कि जरूरत अनुसार
अंतर अंतर सहारा देना
और बाहर बाहर चोट करना
हमें आना चाहिए
नहीं जानता मैं कि
मित्रता निबाहने की कितनी विधियां हैं
और कौन है सबसे उचित, समुचित या निरापद
मित्र धर्म मुझे ऐसे ही निभाने आता है।