मित्रता
मित्रता की सूचिका में ताग अनुराग डाल
सुमन की गूंथ माल हिन्द को पहनाय दो.
एकता अखण्डता सुबन्धुता के स्नेहगीत,
भारती की आरती में एक तान गाय दो.
कर्म भिन्न,मर्म भिन्न,धर्म है अभिन्न एक
भारती पुकारती है भेद बिसराय दो
भारत के लाल काल- ग्यानकी मशाल धारि,
मानवीय दिव्य ज्योति विश्व जगमगाय दो.
पं.विश्वनाथ मिश्र
नरई संग्रामगढ़ प्रतापगढ़
मो० ९००५९०५९५९