मित्रता
कृष्ण और सुदामा वाली मित्रता मिली होती ।
विरले नसीब वालों को मिलती है ऐसी मित्रता।
प्राय:कुमित्र मिलते हैं , आज कल। कहावत है ना संगत से गुण आत ,संगत से गुण जात।
मित्रता का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। अच्छी संगत अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। मित्र मिले तो खुशी से झूम उठते हैं। जिससे बातें करने से हिचकते नहीं, अच्छी- बुरी सभी बातें करते हैं। अपनी मनोदशा को खोल कर रख देते हैं। मित्रता होती ही हैं ऐसी।