“मित्रता”
“मित्रता तो सच्चे रिश्तों का एहसास होता है,
समर्पण का दीपक जला, स्नेह और विश्वास होता है,
जाति ,धर्म ,रंग -रूप से परे, मित्रता का मीठा आभास होता है,
तभी तो जग में ,कृष्ण सुदामा की मित्रता का गुणगान होता है।
खुश हुआ था कान्हा कितना,सुदामा के द्वार आने पर,
नंगे पांव दौड़ा बिहारी ,हृदय से लगाने को,
लूटा दिया श्याम ने तीनों लोक, चावल के उस आधे दाने पर ,
मर जाऊ हरि मैं तो तेरे ऐसे याराने पर,
मिल जाय श्याम अगर, याराना कृष्ण सुदामा सा,
अंधकारमय जीवन मे भी, सवेरा जगमगाता है,,,
मित्रता की भला और क्या मिसाल होता है,
कृष्ण सुदामा की मित्रता का ही जग में नाम होता है।।”
मित्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं,? राधे राधे।।