” मित्रता ” : मित्रता क्षणिक आवेश नहीं, जीवन पर्यंत वचन
सखा सहचर स्नेही सुहृदय,साथी दोस्त स्वजन
मित्रता क्षणिक आवेश नहीं, जीवन पर्यंत वचन
मित्र वो ही जो सुख दुख में साथ तुम्हारे रहता
प्रेम भाव से आलोकित हो,हो ऐसा कोई सुजन
मित्रता क्षणिक आवेश नहीं, जीवन पर्यंत वचन…
आस पास एक नज़र घुमाकर मित्र सभी पहचानों
सुनो कुछ कह रहे नदियां पर्वत पंछी वन उपवन
मित्रता क्षणिक आवेश नहीं, जीवन पर्यंत वचन…
पुस्तकें भी मित्र हमारी प्रतिपल साथ ही रहतीं
संस्कार ज्ञान से ही संभव है जीवन का सृजन
मित्रता क्षणिक आवेश नहीं, जीवन पर्यंत वचन…
माता पिता गुरु देवता मित्र मानकर पूजो
जीवन सफल हो जाएगा गर साफ हमारा मन
मित्रता क्षणिक आवेश नहीं, जीवन पर्यंत वचन…
– विवेक जोशी ”जोश”
०१.०८.२०२१