मित्रता के भाव
मित्र दिवस अवसर पर प्रस्तुत हैं ये भाव
जीवन में इनके आने पर होते पूरे सब चाव
जब कभी तनाव में होता है कोई इन्सान
मित्र राम बाण बन ओषधि करता है निदान
एंकातवास मे साथ कर पल करता है संगीन
सुख दुख में संग साथ दे कर देता है हसीन
बिन मित्रो के जीवन बन जाता है गमसीन
यार बन बहार जब आते हैं हो जाता रंगीन
दिल की दिल मे रह जाती हैं जो सब बातें
दो चार पैग साथ लगाने पर खुलती गूढी गांठे
मोह लालच स्वार्थ भाव मे जुड़े हैं बाकी रिश्ते
निस्वार्थ रस में जो लीन है मित्रता उसे कहते
पीठ में छूरा घोंपे जो मित्र उसे कहते हैं यार मार
मित्रता के पावन रिश्ते को कर देता तार तार
मित्र हो यदि बचपन का क्या कहने है उसके
तरोताजा कर जाता है जब मुलाकातें हों उनसें
स्कूल कोलेज मित्रों की होती हैं बातें निराली
भिड़ जाना कभी मिल जाना फिर पीते प्याली
आजकल तो महिला मित्र की पैदा हुईं बीमारी
शिद्दत से निभाये इसको तो नहीं कोई खुमारी
वैर भैव कपट सब भूलकर रखें नई बुनियाद
सदैव मित्रता का साथ हो करतें है फरियाद
सुखविंद्र सिंह मनसीरत