मित्रता एक वटवृक्ष
मेरे दृष्टिकोण से अच्छे और सच्चे दोस्तों का मिलना सौभाग्य की बात होती है। मित्रता वह वटवृक्ष है जिसके तले दो प्राणी दोस्त के रूप में पारस्परिक स्नेहिल अपनत्व की छाया पाते हैं। कहते हैं कि ईश्वर जिन अपनों को खून के रिश्ते में नहीं जोड़ पाता उन्हें मित्रता के प्रगाढ़ रिश्ते में आबद्ध कर देता है।
मेरे सेवा काल में एक सहेली ऐसी थी मेरी अंतर्गत मित्र जो कि या तो व जब वह मुझे फोन करती तो उसके तुरंत पहले मैं उसे याद कर रही होती थी या अगर मैं फोन करती तो उसके तुरंत पहले वह मुझे अवश्य ही याद कर रही होती थी। ऐसा एक बार नहीं अनेक बार होता था। मेरी वह मित्र मेरी हर खुशी मेरी तरक्की को देखकर दिल से खुश होती थी।
सच ही कहा है कि सच्चे दोस्तों के दिलों के तार जुड़े हुए होते हैं।
यह भी माना जाता है कि इस जन्म का मित्र हमारे पिछले जन्म का कोई प्रिय जन ही होता है। यह मिथक है या सत्य यह तो मैं नहीं जानती परन्तु इतना अवश्य कह सकती हूँ कि हमने सच्चे दोस्त को अपने साथी के लिए प्राण भी न्योछावर करते हुए देखे हैं।
अंततः मैं तो यही कहूंगी कि मित्रता वह मरहम है जो अपनों के दिए जख्म भरने की सबसे कारगर दवा है। सच्चा मित्र साथ निभाने के मामले में रिश्तेदारों से भी पहले होता है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना