मीडिया… मीडिया… मीडिया….
इस मीडिया ने तो ऐसा भरमाया है
चारो तरफ बस इसी का सुर छाया है ,
कोई सच तो कोई झूठ दिखाता है
कोई बकवास खबर से भरमाता है ,
ना लफ्ज़ों का सही चुनाव है
ना तल्लफ़ुस से कोई लगाव है ,
हर बात पर ये चिल्लाते है
मैं सही हूँ यही बतलाते हैं ,
ना शर्म है ना अनुभूति है
इनको किसी से नही सहानुभूति है ,
किसी बच्चे की मौत पर माँ से पूछते हैं…
“आप अपने बच्चे की याद में जो रो रही हैं
इस वक्त आप कैसा महसूस कर रही हैं ?”
इतनी होड़ है इनकी आपस में
हद पार कर जाते हैं हर हालत में ,
हर चैनल अपनी हर ख़बर को पहली बताता है
और दूसरे चैनल को बस नीचा दिखाता है ,
किसी भी व्यक्ति का चेहरा ये सबसे पहले दिखाते हैं
आपत्ति होने पर उसकी आँखो पर ये पट्टी लगाते हैं ,
ज्यादातर ख़बरों की पूरी हक़ीकत ये नही जानते हैं
उसके बावजूद ब्रेकिंग न्यूज़ की लाइन ये चलाते हैं ,
ख़बरें दिखा दिखा कर ” ताज ” को जलवा दिया
अपनी ख़बर से इन्होंने ज़िंदों को भी मरवा दिया ,
ये मीडिया के नाम पर कुछ भी कर जाते हैं
ग़लत होने पर भी ये नज़र नही झुका पाते हैं ,
ये जानते हैं इनके नाम का ही जलवा है
जो गया ख़िलाफ़ फिर तो बलवा है ,
अरे मीडिया हो तुम जनता का विश्वास हो
गलत को न्याय मिलेगा ऐसी तुम आस हो ,
लोगों के विश्वास पर खरे क्यों नही उतरते हो
झूठ का दामन छोड़ कर सच से क्यों नही संवरते हो ?
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 24/07/2020 )