Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 2 min read

डोला कड़वा –

डोला कड़वा –

नंदू बचपन से गांव कि महिला पनवा के विषय मे सुनता आया डोला कड़वा नंदू कि समझ मे यह नही आता की टोला कड़वा पनवा को गांव वाले क्यो कहते है ?

जब नंदू को कुछ समझ हुई तब उसने अपने बाबा से डोला कड़वा का मतलब पूछा और यह भी पूछा कि पनवा को पूरा गांव डोला कड़वा क्यो कहता है ?

नंदू के बाबा ने बताया की सामान्यतः विवाह में वर पक्ष यानी लडके वाले धूम धाम से बरात लेकर कन्या पक्ष के यहाँ जाते है और विवाह विधि विधान से होता है लेकिन गरीब और लाचार मजबूर परिवार के लोग किसी पैसे या साधन सम्पन्न वर पक्ष या लड़के वालों के यहां लड़की लेकर जाते है और विवाह सम्पन्न होने के बाद लड़की छोड़ कर चले आते है ऐसे विवाह को डोला कड़वा कहते है ।

यह प्रथा मुगलों कि गुलामी के दौर से शुरू हुई जब जमींदार रसूख वाले लोग पसंद कि लड़की के घर वालो को बुलाते और विवाह का जामा पहना रखैल के रूप में रखते ।

पनवा भी उसी परम्परा कि वर्तमान है नंदू के बाबा ने बताया कि पनवा अपनी बड़ी बहन सुमुखि के डोला कड़वा विवाह में अपने परिवार के साथ आई थी विवाह में औपचारिकता के बीच गांव के प्रधान दुर्जन सिंह कि निगाह पनवा पर पड़ी उन्होंने सुमुखि के विवाह के बाद उसके परिजन को बुलावाया और पनवा को अपने घर पर घरेलू कार्य हेतु रखने हेतु दबाव बनाया पनवा के घर वालो कि क्या मजाल कि वह दुर्जन सिंह कि बात टाल सके सो सुमुखि को उसके पति के घर एव पनवा को दुर्जन सिंह के घर छोड़ कर चले गए ।

जब तक पनवा में आकर्षण था तब तक वह दुर्जन सिंह के घर दासी या यूं कहें कि नौकरानी बन कर रही बाद में दुर्जन सिंह ने पनवा के माँ बाप परिवार आदि को बुलाकर पनवा का विवाह सुमुखि के देवर हूबलाल से डोला कड़वा विवाह करा दिया तब से पनवा का उप नाम डोला कड़वा पड़ गया ।
पमवा बहन के डोला कड़वा विवाह हेतु बड़ी बहन सुमुखि के साथ आई और स्वंय भी डोला कड़वा विवाह की एक पात्र बन कर रह गयी।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।

Language: Hindi
309 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
Manisha Wandhare
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
Sanjay ' शून्य'
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
Indu Singh
मेरी मोमबत्ती तुम।
मेरी मोमबत्ती तुम।
Rj Anand Prajapati
हमसफ़र
हमसफ़र
अखिलेश 'अखिल'
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
मैं विवेक शून्य हूँ
मैं विवेक शून्य हूँ
संजय कुमार संजू
वक्त गुजर जायेगा
वक्त गुजर जायेगा
Sonu sugandh
भीड़ में रहते है मगर
भीड़ में रहते है मगर
Chitra Bisht
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शांति दूत हमेशा हर जगह होते हैं
शांति दूत हमेशा हर जगह होते हैं
Sonam Puneet Dubey
Expectation is the
Expectation is the
Shyam Sundar Subramanian
हमने माना अभी
हमने माना अभी
Dr fauzia Naseem shad
साक्षात्कार - पीयूष गोयल
साक्षात्कार - पीयूष गोयल
Piyush Goel
" बढ़ चले देखो सयाने "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अदब  नवाबी   शरीफ  हैं  वो।
अदब नवाबी शरीफ हैं वो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कहे महावर हाथ की,
कहे महावर हाथ की,
sushil sarna
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
Manisha Manjari
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
"क्यूं किसी को कोई सपोर्ट करेगा"
Ajit Kumar "Karn"
"मेरे अल्फ़ाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
.
.
*प्रणय*
#मज़दूर
#मज़दूर
Dr. Priya Gupta
धरा और इसमें हरियाली
धरा और इसमें हरियाली
Buddha Prakash
इस दिवाली …
इस दिवाली …
Rekha Drolia
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
Ravi Prakash
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
4334.*पूर्णिका*
4334.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
Neelam Sharma
Loading...