मिट न सकेगी याद तुम्हारी…
लुटी हर हसरत, ख्वाब मिटे,
लापता हुईं खुशियाँ सारी।
सब कुछ खोया इस दिल ने,
बाकी है बस याद तुम्हारी।
तूफां आए, अरमां बिखरे,
बिखर गईं उम्मीदें सारी।
सब कुछ बिखरा इस दिल से,
बची रही पर याद तुम्हारी।
टूटे सपने, रूठे अपने,
टूट गई हर आस हमारी।
सब कुछ टूटा, दिल जो टूटा,
बनी रही पर याद तुम्हारी।
मिट जाएँ सुख की तहरीरें,
मिट जाए ये हस्ती मेरी।
मिट जाए हर आस दिल से,
मिट न सकेगी याद तुम्हारी।
कितने गम के बादल सिमटें,
सावन बरसें, नयन-घट रीतें।
पाने को इक झलक तुम्हारी,
खुली रहेंगी पलक हमारी।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“चाहत चकोर की” से