मिटाने पर तुले हैं
जिन्हें हम सब बचाने पर तुले हैं,
वो हम सबको मिटाने पर तुले हैं।
हम इनका ग़म बँटाने पर तुले हैं,
ये हमको आज़माने पर तुले हैं।
भला चैनो सुकूँ होगा तो कैसे,
कई दंगा कराने पर तुले हैं।
हिफ़ाज़त जिनके सर पर घर की होती,
वही घर को जलाने पर तुले हैं।
उठाए मौत के मुँह से जिन्हें हम,
हमे जग से उठाने पर तुले हैं।
जरूरी है गिरफ्तारी हो उनकी,
जो गद्दारी निभाने पर तुले हैं।
कभी ‘साहिब’ थे जो इंसानियत के,
वही इसको मिटाने पर तुले हैं।
—-मिलन साहिब।