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27 Aug 2016 · 1 min read

मिटटी………

जीवन का सार है,
उत्पत्ति का आधार है
जल हो या वायु
संपूर्ण जगत की प्राण है मिटटी !!

अम्बर को शीश धारे,
प्रकृति को सीने पे वारे
रवि की अग्न,
चन्द्र की चुभन सहती ये मिटटी !!

तुझमे बस्ते राम कृष्णा,
तुझमे नानक, ईसा, रहीम
कण-2 मिलकर देह रचे
वो अनमोल रत्न है मिटटी !!

तुझसे जंगल, खेत-खलिहान,
वन तुझसे पर्वत पहाड़
जहाँ पर बहती गंगा यमुना,
सागर का भण्डार मिटटी !!

अन्न धन सब पाते तुझसे,
सहती सबका भार अतुल्य
बिन प्रलोभन हम सबका
करती पालनहार ये मिटटी !!

तुझ से बनता ये जीवन
तुझमे ही मिट जाता है
‘धर्म’ ने माथे तिलक लगा
तुझको शत शत नमन है मिटटी !!

—–डी. के. निवातियाँ—-

Language: Hindi
319 Views
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