*मिक्सी से सिलबट्टा हारा (बाल कविता)*
मिक्सी से सिलबट्टा हारा (बाल कविता)
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गुड़िया को ले मेला जाते
चक्की चूल्हा बेलन लाते
चकले पर थी रोटी बिलती
दो-दो रोटी सबको मिलती
मिट्टी की थी सभी रसोई
टूटी तो फिर गुड़िया रोई
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अब हैं खेल- खिलौने न्यारे
प्लास्टिक के दिखते हैं प्यारे
अब है गैस – सिलेंडर भारी
बिजली की चीजें हैं सारी
मिक्सी से सिलबट्टा हारा
गया पुराना युग बेचारा
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रचयिताता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451