!! माफ़ करना.-कलम जो रूकती नहीं !!
दोस्तों,
मैने कुछ दिन पहले खुद को
सब के साथ वादा किया था
की अब आगे नहीं लिखना है
न कुछ लिखा जाना है मुझसे..
पर क्या करून, इस मन पर
कैसे मैं काबू करून, की जिस
से यह लिखना बन्द कर दे,
और कुछ पल ठहर जाए ..
शब्द हैं की मन में
विचार बन कर कोतुहलवश
विवश कर रहा है, कि क्यूं
थाम रहा है रफ़्तार मेरी इस तरह
विचार किया, मन को भी
समझाया, मत रोक इस कलम को
लिखता जा, बस इस समाज के लिए
आया है तो कुछ करता जा..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ