माफ़ी
इससे पहले की मैं उलझ जाऊं तुम सुलझा लेना ,
न नयन भीगें न मन इससे पहले तुम मुझको समझ लेना |
मैं परिंदा रहा हूँ इस बियाबाँ का
मेरे घोसलें के चंद तिनकों को बचा लेना |
मैं टूट के बिखर जाऊंगा अब …
बिखरुं , इससे पहले ही तुम जोड़ देना |
नहीं मांगता मैं तुमसे कुछ लम्हों का साथ
ताउम्र निभा सको ऐसा कोई वादा निभा जाना |
यक़ीनन मैं क़ाफ़िर बन जाऊं उस खुदा की नज़र में
लेकिन तुम अपनी दुआ के हर्फों से मुझे बचा लेना |
तमाम अरसा मैं मुन्तज़िर रहा हूँ तेरी माफियों का
अब तो इस तलबग़ार पे एक नज़र का करम बरसा जा |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’