“माही- ए -इश्क”
“माही ए इश्क”
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हर पल मैंने तुझको याद किया
सांसो में हर पल महसूस किया
ना जाने तू खो गई कहां सनम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
कुछ और नहीं भाता है तुझ बिन
कुछ और नहीं मांगा है तुझ बिन
कहां गई तुम छोड़ के हमदम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
ना बात हुई तो रूह तड़पती
कुछ देर हुई तो सांस उखड़ती
वक्त की आंधी में बिछड़ गई सनम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
पल-पल नैनों से बहते आंशू
हर धड़कन में बस तेरी आरजू
हर छवि में तुझको ढूंढा हमदम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
कुछ और ना चाहत मेरी रब से
तेरा मेरा साथ मिला है जब से
हर जगह है तुझको ढूंढा जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
मैं ना कहीं पागल हो जाऊं
तुझको ढूंढु खुद खो जाऊ
एक दरस तो अब दिखला जा जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
अब तेरी तलब है बढ़ती जाती
धड़कन भी मेरी रुकती जाती
मैं चकोर तेरा तू मेरी चांद सनम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
हर पल अब तो बरस बराबर
सुख गए अब नैनों के सागर
पाने को तुझको हर जुगत हुआ बेकार सनम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
अब लहर सी उठती सांसों में
अब जलन सी रहती आंखों में
अब सरगम भी है बेकार सनम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
सुन ध्वनि सुधा मैं तेरी सोता जगता
अब तनहाई में खुद से तेरी बातें करता
हाल सुनाऊं किसको अपने पागलपन की प्रियतम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
पल क्षन ही अब लगती आंखें
फिर सारी रात है जगती आंखें
है असीम अनंत सा सुनापन जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
रह रह कर उठती है टीस सी ह्रदय में मेरी
कुहूक कुहूक रोता मन देखे बिन सूरत तेरी
कब तक जले जीवन विरह में तेरी जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
काश मेरी दुआ में ये असर होता
हम उन्हें याद करते हैं ये खबर होता
जिंदगी गुमनाम सी बिता रहे हैं जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
तू मंजिल मैं तेरे पथ का राही
मैं इश्क तेरा हू तू बस मेरी माही
आलम तनहाई का सहा नहीं जाता जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
क्या नहीं सुनाई देती मेरे दिल की चित्कार
मैं बिछड़कर तुम से हार गया सारा संसार
टूटी सांसों की लड़िया मैं सील रहा जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
एक आह सी उठती रहती हरदम
मरने से पहले मैं देखूं तुझको हमदम
तुझको पा लू कुछ और नहीं ख्वाइश जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
जो मैं पंछी होता उड़ मुंडेर पर तेरी आता
सब होते फिर भी मैं हाल तेरा ले आता
विरह वेदना को तेरी कम कर जाता जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
तड़प तड़प कर माही पुकारी
तेरे इश्क का रोगी सत्येंद्र बिहारी
अब मेरी धैर्य परीक्षा और ना ले जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
विरह में तेरी माही जलता मै अब हर पल
काया जलती जलता चितवन मन चंचल
क्या धूम लपट नहीं पहुंचती तुम तक जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
तेरी प्रेम अगन जो सींच रही थी मेरा तन मन
हुई विरह अगन अब झुलस रहा मेरा तन मन
अब देर हुई तो छार मिलेगा मेरा जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
हो छार बिखर जाऊं उस पथ पर
प्रियतम हो गेह तुम्हारा जिस मग पर
झोंके संग उड़ तिलक माथे का बन जाऊं जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
उस पर भी तुम जो सुध ना लोगी प्रियतम
अपनी छार रेत घुला तेरा दर्पण बन जाऊंगा प्रियतम
अक्स मेरा जब उसमें पाओगी कैसे बिसरावोगी जानम
सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !
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सत्येंद्र प्रसाद साह (सत्येंद्र बिहारी)
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