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20 Feb 2024 · 1 min read

माहिया – डी के निवातिया

माहिया
***

आया फाग महीना
सुन ले रे साजन,
मुश्किल तन्हा जीना !! १ !!

आयो घूमत घूमत
फागुन बासंती,
तन-मन मोरा झूमत !! २ !!

पतझड़ के मौसम में,
खिलने को कलियाँ,
आतुर है गुलशन में !! ३ !!

बगियन कोयल कूके,
मीठी वाणी से,
तन मन मेरा फूंके !! ४ !!

जब जब तुम आते हो,
मिलके तुम हमसे,
प्रीत जगा जाते हो !! ५ !!

सोच रही ये कब से
होली खेलन को,
मन मोरा है तरसे !! ६ !!

***
स्वरचित: डी के निवातिया

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