माहिया – डी के निवातिया
माहिया
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आया फाग महीना
सुन ले रे साजन,
मुश्किल तन्हा जीना !! १ !!
आयो घूमत घूमत
फागुन बासंती,
तन-मन मोरा झूमत !! २ !!
पतझड़ के मौसम में,
खिलने को कलियाँ,
आतुर है गुलशन में !! ३ !!
बगियन कोयल कूके,
मीठी वाणी से,
तन मन मेरा फूंके !! ४ !!
जब जब तुम आते हो,
मिलके तुम हमसे,
प्रीत जगा जाते हो !! ५ !!
सोच रही ये कब से
होली खेलन को,
मन मोरा है तरसे !! ६ !!
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स्वरचित: डी के निवातिया