माहिया – डी के निवातिया
माहिया
*******
माहिया तू वादा कर
मिलना जरूरी है,
एक बार इरादा कर !!
***
रुख कैसे मोड़ ले हम,
उनकी बातो को,
उन तक क्यूँ छोड़ दे हम !!
***
दिखने में काला है,
रूप उसका जग में,
सबसे ही मतवाला है !!
***
हर बार नहीं खिलता
फूल मुहब्बत का,
आसान नहीं मिलता !!
***
इस गम की चाहत में,
रहता हर कोई,
पाने को राहत में !!
****
!
स्वरचित: डी के निवातिया