माहिया – डी के निवातिया
माहिया
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ये दिल कुछ कहता है,
इसकी भी सुन ले,
तुझ में ही रहता है !!
!
सुन इस फरियादी की
ये क्यूँ करता है,
बातें बरबादी की !!
!
लौटा कब करते है,
दूर जाने वाले,
किस के हुआ करते है !!
जाती हो तो जाओ,
बीती बाते तुम,
यादो में ना आओ !!
!
आओ ना मस्ती में,
की खो ना जाऊं
मैं दिल की बस्ती में !!
!
मौसम रंगीला है,
दिल भारी भारी,
थोड़ा सा ढीला है !!
!
अब तो आओ सजना,
कब तक रहुं तन्हा,
बिन तेरे ना जँचना !!
!
***
डी के निवातिया