माहिया छंद
माहिया छंद……..
12-10-12
घट-घट वो बसता है
हम पर प्रति पल ही
प्रभु प्रेम बरसता है।
जग का वो स्वामी है
कष्ट निवारक है
प्रभु अन्तर्यामी है।
जाको राखे सांई
जग न बिगाड़ सके
उस पर न आँच आई।
प्राची में लाली है
अंशु दिवाकर की
छटा ही निराली है।
कोई किसी का नहीं
कुछ पल का डेरा
फिर तू कहीं हम कहीं।
नदिया जो बहती है
चलना जीवन है
वो हमसे कहती है।
बिटिया न पराई है
सबसे है प्यारी
दिलों में समाई है।
रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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