मास्टर जी की क्लास
अजब क्लास का नज़ारा था
हर कोई लग रहा न्यारा था
मास्टर जी कुर्सी पर पड़े थे
और बच्चे सारे इधर उधर खड़े थे
अचानक प्रिंसिपल साहब आए
तो मास्टर जी जो कुर्सी पर पड़े थे
जल्दी जल्दी खुद को संभाले और
वो प्रिंसिपल साहब के सामने खड़े थे।।
प्रिंसिपल साहब ने पूछा,
मास्टर जी, ये क्लास में क्या हो रहा है
मास्टर जी बोले, मैं बच्चों को
मेडिटेशन सीखा रहा हूं
उनको भी बाबा बनने के गुर सीखा रहा हूं
पढ़ लिखकर भी भविष्य उज्वल
हो ऐसा तो दिखाई दे नहीं रहा
इसलिए आजकल बच्चों को
मैं सिर्फ किताबी ज्ञान ही दे नहीं रहा।।
पढ़ाई के साथ साथ व्यवसायिक
शिक्षा भी बच्चों को अब दे रहा
उनको बाबा, नेता और योग गुरु
बनने के सारे गुर अब मैं दे रहा।।
प्रिंसिपल साहब भी, मास्टर जी से
बहुत प्रभावित दिख रहे थे
बाबा, नेता और योग गुरु बनने के
गुर जानने को उत्सुक दिख रहे थे।।
मास्टर जी बोले बाबा बनना तो
सबसे आसान व्यवसाय हो गया है
ज्ञान से ज्यादा ज़रूरी इसके लिए
व्यायाम की जानकारी हो गया है।।
नेता बनना तो उससे भी आसान है
झूठ बोलना तो आजकल सभी को आता है
लेकिन अच्छा नेता वही बन पाता है
जिसे सलीके से झूठ बोलना आता है।।
बनना हो अगर योग गुरु तुमको
पहले मेरी तरह गुरु बन जाना तुम
सीखकर दो चार आसन फिर
सुबह सुबह टीवी पर आ जाना तुम।।
आपसे जो कह रहा मैं अभी
ये भी उसी शिक्षा का हिस्सा है
पकड़े जाओ अगर कभी तुम
कैसे संभालना है खुद को,
ये उसका जीवंत किस्सा है।।