मासूम बेटी
“मासूम बेटी”
दरिंदा ने बणाई योजना, उनकी करणी पार गयी।
छः साल की मासूम बेचारी, अपणी जिंदगी हार गई।
कूड़ा बीन के करै गुजारा, पाल रही वा बेटी अपणी ।
कुणसा उसने खोट करा,भुगत रही वा कुणसी करणी। करके काम सारै दिन वा,माँ नींद चेन की सोई थी ।
तड़के उठके देखण लागी ,उसने बेटी अपणी खोई थीं।।
बाहर लिकड़ के टोवण लागी , पड़ी लाश वा पाई।
देख के वा माँ बेसुध होगी ,बेटी थी नोच कै खाई ।
देख के हालत उस बेटी की , “मलिक” ने क़लम उठानी पड़गी ।
लिवर फेफड़े होए खराब ,उसकी बड़ी आत बी फटगी ।। देण दिलासा उस माँ नै, इब राजनीतिक पार्टी आरी सै।
कुछ ना बिगड़े उन हैवाना का, ये बेटी नोची जारी सै।।
“सुषमा मलिक”