मासूमियत
मासूमियत देख कर उनकी ,दिल हार बैठे हम।
इक अजनबी चेहरे पर ,सब कुछ वार बैठे हम।
आंखों में उनकी जो देखा ,तो डूबते ही हम गये
कैसे तुमको समझाए , कर तकरार बैठे हम।
बात बात पर कहकहा,ये उनकी थी इक अदा
हंसी हंसी में ही बस , कर इकरार बैठे हम।
पलट कर उनका देखना ,ले गया दिल निकाल
हैं उनको भी मोहब्बत, कर एतबार बैठे हम ।
मालूम जब से हुआ है,दिल थाम कर बैठे हैं
पंछी उड़े अपने धाम ,बस इंतजार में बैठे हम ।
सुरिंदर कौर
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