मासूमियत
एक कठोर चेहरे वाली,
मेहनती औरत ,
रोज निकलती है ,
बाजार से,
उसके ,
पग फौलादी है ,
उसके चलने से,
सडक मे आवाज
आती है ,
जैसे कि,
सड़क, कहती हो ,
कि, सुन लो ,
औरतों,
ये,मासूमियत
अब अशुभ है
औरत के लिए
तुम नहीं जानती
वह कब तुम्हारी दुश्मन
बन जाएगी
और तुमको खत्म कर देगी ।
तुम देखती हो इस दुनिया को,
मासूम बनकर,
मगर जानती नही ,
बहुत सारे रूढिवादी
यही तो चाहते हैं
और इसीलिए
इस ,मासूमियत की
करते हैं ,
सराहना।
वे चाहते हैं ,
तुम ,इस मासूमियत के,
पहाड मे दबी रहो।
साथ ही यह सच है कि
वे भय खाते हैं ,
मजबूती से,
इसीलिए ,
मासूमियत ,
बस, जीव से ,
दया दिखाने को रखो,
गलत होता है ,
तो,
मत रोको,
अपने,
हृदय की
आवाज़ को,
अपनी नसों में
दौडते रक्त को,
महसूस करो।
ताला मत लगाओ,
इस ,जुबान पर,
किसी का,
अहित हो रहा है,
तब , उतार कर,
फेक दो ,
मासूमियत,
बन जाओ ,
वीरांगना ।