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3 Sep 2022 · 2 min read

” मासूमियत भरा भय “

” मासूमियत भरा भय ”
दुबई के पास आबू धाबी में
एशियन चैम्पियनशिप का टूर्नामेंट था
बायो बबल ने पकाया वहां
कोरोना प्रोटोकॉल में फंसी थी मैं,
होटल, स्टेडियम और बबल की बस
कुछ भी न नजर आए बाहर का
अलग ही वातावरण बना था
सुरक्षित स्वयं को समझी थी मैं,
दिल्ली एयरपोर्ट से दुबई एयरपोर्ट
दुबई से की यात्रा आबू धाबी की
कोविड़ टैस्ट ने छका दिया
कोरोना के चक्कर में पक गई थी मैं,
दो दिन का फिर झेला क्वारंतीन
फाइव स्टार होटल लगा काल कोठरी
राज को बताई अपने दिल की बात
ओपनिंग सेरेमनी को लेकर उत्सुक थी मैं,
खेलते खेलते पैर में लगी चोट
परिणाम के भय ने सताया था
चोट के साथ कैसे खेल पाऊंगी
सहसा ही सहम गई थी मैं,
मेहनत रंग लाई फिर मेरी
फाइनल मैच तक पहुंच गई थी
रजत पदक झोली में आया
वहीं से भारत रवाना हुई थी मैं,
एयरपोर्ट पहुंच कर हो गई आफत
फ्लाईट हुई थी दो घंटे लेट
खुशी थी वतन वापसी की
मंद मंद मुस्कुराई थी मैं,
टकटकी लगाए बैठी इंतजार कक्ष में
कब खिसके घड़ी की सुई आगे
माहवारी ने दी तभी दस्तक
आंसू आखों में तब लाई थी मैं,
दो घंटे बने सदियों बराबर
दर्द में टूटा बदन कराहे
लेट लतीफ फ्लाइट तूं आजा
बेसब्री से पुकार रही थी मैं,
धीरे से फिर राज बुदबुदाया
मजबूत है मीनू तूं मत घबरा
कर स्पर्श से मुझे दिया सहारा
मासूम निगाहों से तब हारी थी मैं,
जैसे तैसे हमने भरी उड़ान
बढ़ने लगी तब और थकान
राज को डर लगे ऊंचाई से
लेकिन खिड़की से नीचे झांकी थी मैं,
दर्दीला तन और व्यथित्त हुआ मन
नयनों में तब मेरे निद्रा गहराई
राज प्यार से दे ना सोने की नसीहत
उसके नाज़ुक भय को भांप गई थी मैं,

राज के डर की बली चढ़ी माहवारी
लेकिन शुकून दे गई उसकी यारी
सफेद बादल और दिखी सूरज की झलक
गिरी पर विराजमान इंद्रधनुष देख पाई थी मैं,
अविस्मरणीय बनी यह विदेश यात्रा
विभिन्न अनुभव एक साथ मिले
रानू, रोमी की कमी जरूर खली
राज ने फिर बहलाई थी मैं।

Dr.Meenu Poonia

Language: Hindi
2 Likes · 190 Views
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