मासूमियत की हत्या से आहत
हम हमास से आहत है, पर इजराइल से राहत है।
केवल मुस्लिम है खतरा,आपका इसपर क्या मत है।।
मूल्ला मौलवी जहर परोसे, मस्जिद और मदर्शो से।
घर घर में हथियार बनाते, आतंक मचा रहे वर्षो से।।
दुनिया में बस यही रहेंगे, इनका कुरान ये कहता है।
इनके बस इसी सोच से, जग आतंक को सहता है।।
इनको जो मारे जालिम है, न माने तो काफिर है।
सोच से है जाहिल ये सब, हिंसा झूठ में माहिर है।।
इनका इलाज जरूरी है, मानवता की मजबूरी है।
तिरस्कार या बहिष्कार करना नितांत जरूरी है।।