मासिक धर्म
लीक से कुछ हटकर कोशिश
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***** मासिक धर्म *****
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मेरा वतन बहुत निराला है
धर्म,जाति का बोलबाला है
धर्म के नाम पर मर मिटते
बढ़ जाएं तो पीछे न हटते
होती बातें मासिक धर्म की
जुबां ना खुलती निडर की
सभी इस शब्द से कतराते
नारी पर पाबंदियां लगाते
खुदा ने दिया जनन सगुण
जिसे पुरुष समझें अवगुण
होता है लाल लहू का स्राव
होता तन मन में हैं तनाव
इसी धर्म से ही जन्म पाते
इसी कारण रोक लगवाते
धार्मिक पूजा जब करवाते
मासिकधर्म अड़चन लगाते
भई ! जब नाम में ही धर्म है
फिर काहे का यह अधर्म है
मूल मंत्र भाव नहीं समझते
नारी को अपमानित करते
बेशक रंग होता सुर्ख लाल
लाल रंग के कई हैं कमाल
लड़की जब दुल्हन बनती
लाल जोड़े में रहे सजती
लाल रंग है शौर्य निशानी
फिर क्यों करते नादानी
जोश,उत्साह,शक्ति प्रतीक
धनवैभव,हर्ष,स्वस्थ प्रतीक
स्त्री मातृत्व शक्ति आधार
जिस आगे भक्ति निराधार
चार पाँच दिन है की क्रीड़ा
देती नारी को बहुत पीड़ा
चक्र चलाता जीवन चक्र
होता सृष्टि को भी है भक्र
नर नारी में यही है अन्दर
ईश्वर ने दिया प्रजनन मंत्र
मातृशक्ति का करें सम्मान
नारी का करें ना अपमान
जो बढ़ाती है वंश पीढ़ी
संतान उत्पन्न की है सीढ़ी
मिल कर करते है मंथन
शुरू करते है नव चिंतन
सोच विचार करें बदलाव
स्त्रीत्व गुण का करें बचाव
जैसे धर्म का करते सम्मान
चाहे कोई छोटा बड़ा काम
नारी बिन ना हो पूर्ण काम
करें मासिक धर्म सम्मान
समझे अब नारीत्व पीड़ा
ना समझे इसे कोई क्रीड़ा
सुखविंद्र ईश्वरीय यह दान
स्त्रीत्व मासिक धर्म प्रदान
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)