माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो।
बहुत हसीन हो तुम, एक माहताब हो।।
माशा अल्लाह तुम——————-।।
गुलाब जैसे लब तेरे, आँखें तेरी मधुशाला है।
हंसी तेरी फूलों सी है, फूलों सा तुम शबाब हो।।
माशा अल्लाह तुम————————-।।
लहराती तेरी ये जुल्फें, लाती है दिल में बहार।
कशिश है तेरे चेहरे में, तुम मीठी एक शराब हो।।
माशा अल्लाह तुम————————–।।
कमाल है तेरी अदायें, मस्ती है इनमें मौजों सी।
मकबूल हो तुम जमीं पर, दीवानों का तुम ख्वाब हो।।
माशा अल्लाह तुम————————–।।
बनाया होगा खुदा ने, तुमको फुरसत में ही।
मूरत हो तुम प्रेम की, मोहब्बत की तुम किताब हो।।
माशा अल्लाह तुम—————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)