*मालिक अपना एक : पॉंच दोहे*
मालिक अपना एक : पॉंच दोहे
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(1)
कोई कहता साधना, कोई एतेकाफ
मतलब दोनों का यही, दिल भीतर से साफ
(2)
जिसने खाना कम किया, पहुॅंचा “उसके” पास
रोजा कोई कह रहा, कोई है उपवास
(3)
हमने-तुमने चाँद को, देखा सौ-सौ बार
टिका हुआ है चाँद पर, दोनों का त्यौहार
(4)
तुम भी कहते एक है, हम भी कहते एक
मालिक अपना एक तो, हम क्यों हुए अनेक
(5)
झगड़े कर-करके हुई, काली लम्बी रात
शुरू करें अब प्यार के, शब्दों से शुरुआत
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451