माला तो लम्बी बना ली
एक एक मोती पिरोकर
माला तो लम्बी बना ली
गले में डाल नहीं पा रहे
हो गई इतनी भारी
गर्दन झुक गई
तुम तो धरती को
शीश नवा रहे
फांसी का फंदा न बन
जाये यह अपनों की
अवहेलना और
अपने सुख और स्वार्थ की
अति
चांद पर सैर की ख्वाहिश
कहीं बीच रास्ते
तुम्हारे ख्वाबों के महल
धूप में जलाकर
सूखाकर
कहीं राख न कर दे
खाक न कर दे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001