माए कोरा लिअऽ
माए हम्मे कोरा लिअऽ
एकटा कोनो लोरी सुनाउ
टुअरकेँ एहि जगमे के
आँखिकेँ नोर के पोछैत
लेय लिअ सुधि अखन
दय दी नव जिनगी माय
टुअर हम बड्ड कानि
कादो लागल छल
मुदा ओ परिवार
जे अप्पन कहता
हुनकासँ की आशा
नै अप्पन ओ
छन छन मे कटु वाणी बोलत
माय अपने करेजा सटाउ
केओ अछि नइ जग मे
करी उद्धार पुत्रकेँ
एक बेर चलि आउ
इजोत देखाउ
करेजा कें बजाउ
माए कोरा लिअऽ
मौलिक एवं स्वरचित
@श्रीहर्ष आचार्य